संकरी संकरी गलियों के वार्तालाप को सुन आज का मानव भी आपनी चुनौतियों को स्वीकारोक्ति की अनुमतियाँ
देते हुए आ खड़ा होता है संघर्षों का सामना करने हेतु | गलियों ने चौरस्ते से पूछा, " तुम्हे परेशानीयों से नहीं जूझना पड़ता पर्यावरणीय-प्रदूषणों से और विभिन्नताओं से भरे मानवों के आवाजाही से" | उसके जबाब ने हम जैसे मानवों की भी असमंजसता को समाप्त करते हुए कहा ,"क्यूँ परेशानियाँ आएँगी ही मुझे तो बल्कि तस्सली मिलती है इन भीड़ों के बीचों-बीच ही ,क्यूंकि सरलता और एकांतवास तुम्हे वस्त्विक्तावों की खूबियों से अनभिज्ञता ही प्रदान नहीं करता वरन तुम्हारी संघर्षशीलता को कमजोर कर देता है और यही नहीं तुम्हारे अहम भी विचलित हो जाते हैं जो की वस्त्विक्तावों से परे होती हैं.
देते हुए आ खड़ा होता है संघर्षों का सामना करने हेतु | गलियों ने चौरस्ते से पूछा, " तुम्हे परेशानीयों से नहीं जूझना पड़ता पर्यावरणीय-प्रदूषणों से और विभिन्नताओं से भरे मानवों के आवाजाही से" | उसके जबाब ने हम जैसे मानवों की भी असमंजसता को समाप्त करते हुए कहा ,"क्यूँ परेशानियाँ आएँगी ही मुझे तो बल्कि तस्सली मिलती है इन भीड़ों के बीचों-बीच ही ,क्यूंकि सरलता और एकांतवास तुम्हे वस्त्विक्तावों की खूबियों से अनभिज्ञता ही प्रदान नहीं करता वरन तुम्हारी संघर्षशीलता को कमजोर कर देता है और यही नहीं तुम्हारे अहम भी विचलित हो जाते हैं जो की वस्त्विक्तावों से परे होती हैं.
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