सोमवार, 28 दिसंबर 2015

उम्मीद

उम्मीद को जगाये रखना आने वाला नया साल है ,
आशा को गले लगाये रखना कह रहा जाने वाला साल है |
चेतना से मिलते रहना उम्मीद की हमसे ये फरियाद है ,
सतर्कता को सदैव एहसासों में बनाये रखना ये भावनाओं की चाह है ||

सपनोँ के साकार होने तक  नये सपने को देखते रहना ये उम्मीद की ही चाह है ,
मिली हुई सफलतायें हमें सोने नहीँ देती ये ही उमंग हो बरक़रार ये आशाओं की फरमान है |
आलस्य के बाजूओं से दूर रह अपनी चेतनाओं से आलिंगनबद्ध होने की चाह में ही छिपी हमारी उम्मीद है ,
खफा या शिकायतों और उलाहनों के रम में मत उलझो आगे देखो और बढ़ो कह रहा हमसे ये आने वाला साल है||

आखों में चमक ललाट पर तेज के साथ अधरों पे भीनी-भीनी मुस्कान के साथ ही हमको चलना है ,
पूंजी तो व्यापारियों की मांग है ,आरोप-प्रत्यारोप से सजे शब्द तो राजनीतिज्ञों का ही सबल हथियार है |
उम्मीद,आशा ,चेतना और सतर्कता को अपने कोरे और सादेपन भावनाओं में ही भरकर आगे बढ़ना है ,
प्रेम और घृणा दोनों में ही हैं देखो ढाई अक्षर तुम्हेँ किसे लेकर चलना है उसी पर टिकेगा आने वाला साल ||

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