शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

अभिनंदन

ये साल की आवाज है कि चलो आज हमसब एकत्रित हो करते हैं अभिनंदन आगत वर्ष का ,
इस साल में हमने यह गुरुमंत्र सिखा है कि अभिनंदन ही जीवन है नहीं स्वीकार है अलविदा |
जो चल रहा है उसका भी है अभिनंदन क्यूंकि जय और पराजय का मिसाल बना,बनने जा रहा है वह इतिहास ,
जिसने हमको जता दिया है  जीवन-जीने का सत्यापित भाव के साथ सुख-दुःख से सना कड़वा एहसास ||

उत्थान और पतन खोने और पाने के अलावा भी जीवन कि पाठशाला में दुनिया की सैर कराता है ,
अभिनंदन में ही सब कुछ है जिसमें नूतन भी है पुरातन भी है, नित नए राह का आग्रही बन जाता है |
चलो थोड़ा सा गहन अध्ययन कर लें हम क्या है हमको तजना और क्या है हमसबको लेकर बढ़ना ,
कहीं दूर आओ छोड़कर आयें मन के सारे कड़वाहट को ,नयी सोच नए विचार से ही अभिनंदन करना है ||

क्या हमने है खो दिया इस गम को परे हटाना है जो भी अपने पास है उसका ही अभिनंदन करना है ,
दिन हो या रात हार मिले या जीत,समयावधि न रुकेगी कभी तो फिर हमको भी उसी के लय में चलाना है |
शिखरों कि कोई चाह नहीं पर हम किसी से कम नहीं के भाव ले मिलजुल कर नूतन वर्ष का अभिनंदन करना है,
कह रहा है यह साल हमसे कर्तव्य-पथ से चुको मत तुम, अभिनंदनीय हैं वो सारे क्षण मिले हो उसमें जो भी फल ||

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