आज सबकी आँखे उस वातावरण की तलाश में हैं, " अचानक हमारा बुध्दिजीवी समाज कहूँ या दिल और दिमाग दोनों को ताक पर रखते हुए आज अपनी माँ(भारत) पर भी ऊँगली उठाने लगे हैं",उस असहिष्णुता की तलाश में है जो दिखाई नहीँ पड़ रहा ,या फिर यह कहा जाये कि सहिष्णुता कि अधिकता हो गयी है जिसके कारण कुछ भ्रमित समाज विकास कि गतिविधियों पर से नजर हटाने के लिए लोगों को उकसाने हेतु वैश्विक-लोकप्रियता को धूमिल करना चाहते हैं |
अरे! नादानी मत करो अब आगे बढ़ो देखो सूरज भी आज चीख-चीख कर वसुधा को सांत्वना दे रहा है |
वो कौन थे जिन्होंने हमें गुलामी के लिए मजबूर किया आज तो सारी धरा हमारी जयजयकार कर रही है |
बहुत रोक चुके हो अब तक उसे तुम,और न रोको अपने इस नादानी से गौर से देखो और गुनो कि क्या तुम
उत्तम कर सकते हो अपनी माँ को खिलखिलाने में |
आसमान को काले बादलों ने जब घेर लिया था तो सूरज कि चुप्पी हमसे कहती है कि बादलों का बिना समय आना कहीं न कहीं हमारी नादानियाँ ही उन्हें(बादलों) आमंत्रित करती हैं, सूरज भी अपनी महत्ता को उनके सामने रखने के लिए मौन हो जाता है तो ये काले बादल हमें भीगापन का अहसास दिलाते हैं | जब कभी आसमान में गड़गड़ाहट होती है या बिजली गिरती है तो उनकी चेतावनी से हम कॉप जाते हैं | इतिहास को हमें कभी नजरंदाज नहीं करना चाहिए | व्यवसायीकरण कि विधियों को अपनाने कि चाहत तभी तक फलेगी जब तक उसमें हानिकारक पद्धतियों कि अधिकता न हो | कहीं ऐसा न हो कि जब तक हम चेतें तबतक बहुत देर हो जाये | दिमाग चलानी है तो आतंकवाद जैसे ज्वलंत और विनाशकारी अवरोधों के लिए उद्वेलित करें ,उन्हें रोकें, अन्याय के चरमपंथी गतिविधियों को पहचाने | मानवता और दानवता बस ये ही दो रूप हैं इंसानों के | मत बांटो इन्हें तुम अब मजहबी धाराओं में | हो सके तो दानव को भी मानवीयता का चोंगा पहना देना यही पुकार है 'वसुधा' की |
अरे! नादानी मत करो अब आगे बढ़ो देखो सूरज भी आज चीख-चीख कर वसुधा को सांत्वना दे रहा है |
वो कौन थे जिन्होंने हमें गुलामी के लिए मजबूर किया आज तो सारी धरा हमारी जयजयकार कर रही है |
बहुत रोक चुके हो अब तक उसे तुम,और न रोको अपने इस नादानी से गौर से देखो और गुनो कि क्या तुम
उत्तम कर सकते हो अपनी माँ को खिलखिलाने में |
आसमान को काले बादलों ने जब घेर लिया था तो सूरज कि चुप्पी हमसे कहती है कि बादलों का बिना समय आना कहीं न कहीं हमारी नादानियाँ ही उन्हें(बादलों) आमंत्रित करती हैं, सूरज भी अपनी महत्ता को उनके सामने रखने के लिए मौन हो जाता है तो ये काले बादल हमें भीगापन का अहसास दिलाते हैं | जब कभी आसमान में गड़गड़ाहट होती है या बिजली गिरती है तो उनकी चेतावनी से हम कॉप जाते हैं | इतिहास को हमें कभी नजरंदाज नहीं करना चाहिए | व्यवसायीकरण कि विधियों को अपनाने कि चाहत तभी तक फलेगी जब तक उसमें हानिकारक पद्धतियों कि अधिकता न हो | कहीं ऐसा न हो कि जब तक हम चेतें तबतक बहुत देर हो जाये | दिमाग चलानी है तो आतंकवाद जैसे ज्वलंत और विनाशकारी अवरोधों के लिए उद्वेलित करें ,उन्हें रोकें, अन्याय के चरमपंथी गतिविधियों को पहचाने | मानवता और दानवता बस ये ही दो रूप हैं इंसानों के | मत बांटो इन्हें तुम अब मजहबी धाराओं में | हो सके तो दानव को भी मानवीयता का चोंगा पहना देना यही पुकार है 'वसुधा' की |
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