एक ऐसा नाम जिसमें मानो मानवीयता की उत्तमता के समायोजन के साथ-साथ वैज्ञानिक-गतिविधियो तथा सांस्कृतिक -समावेषण का सुन्दर संगम समाहित हो । एक ऐसा नाम जिसमें मानों सारी उपाधियाँ समाहित हों |भारत के रामेश्वरम् शहर के धनुषकोडी गाँव में सामान्य परिवार में जन्म लेने वाले (१५ अक्टूबर १९३१) इस वैज्ञानिक संत कि महिमा के गुणगान कि अपने मनोभावों को शब्दांकित करने के लिए किये गए प्रयत्नशीलता को प्रतिरूपित करती हूँ।
महान
विभूतियाँ के जीवनपथ को जब भी हम अवलोकित करते हैं तो आँखें नम दिल नर्म और दिमाग
सक्रियता कि तरफ अग्रसर होने के लिए लालायित हो उठती हैं | ठीक उसी प्रकार २७
जुलाई २०१५ की शाम को जब इस महान विभूति देश के महानायक ,जनता के रास्त्रपति
(११वें) मिसाइल मैन को काल ने चिरनिद्रा में सुला दिया तो मानों सारा भूभाग रो पड़ा
|
हम
उनके जीवन से उनके अदम्य विचारों जिसमें उनके प्रेरणादायक स्रोत से तो हम अवगत
होते ही हैं साथ-साथ शिक्षा,शिक्षण और अनुसंधानकर्ताओं और अनुसंधान के तत्वों और
सृजनशीलता के तथ्यों से भी अवगत होते हैं | वैज्ञानिक दिल और दिमाग भी सर्जनशीलता
हेतु कहीं न कहीं से संवेदनशील भी होता है जो छोटी-छोटी बातों को ध्यान देने कि आदतो के साथ-साथ प्रत्येक स्तर के दुलारे और चहेते
कलाम कि संवेदनशीलता भी आज उन्हें
अपने संरक्षण में जिलाए हुए है और उन्हें युगों-युगों तक विस्मृत नहीं होने देगी | माँ के प्रति आशक्त उनकी भावनाएँ असीम थीं जिसे उन्होने सुन्दर शब्दों मे ढाला भी है ,अपनी आत्मकथा "Wings Of Fire" मे, जहॉ उन्होनें स्वाभाविकता के तह्त उन्हें अपनी उर्जा का स्रोत माना है ।एक ऐसा बालक जो बचपन से ही जिज्ञासु ,जितेन्द्रिय और परिस्थितियों का सुक्ष्मता के साथ अवलोकन-क्षमता रखता हो वह विज्ञान का संत और भारत का पहला नागरिक (राष्ट्रपति) बनने का शतप्रतिशत अधिकारी था और नियति ने उसे सँवारते हुए सुशोभित भी किया। सरलता की प्रतिमुर्ति,मानवीयता से ओतप्रोत और काम के प्रति समर्पित पेशेवर वैज्ञानिक थे जिन्होंने अपनी तल्लीन और सक्रिय गतिविधियों के तह्त देश को माँ के प्रति आशक्त उनकी भावनाएँ असीम थीं जिसे
उन्होने सुन्दर शब्दों मे ढाला भी है ,अपनी आत्मकथा "Wings Of Fire" मे,
जहॉ उन्होनें स्वाभाविकता के तह्त उन्हें अपनी उर्जा का स्रोत माना है ।एक
ऐसा बालक जो बचपन से ही जिज्ञासु ,जितेन्द्रिय और परिस्थितियों का
सुक्ष्मता के साथ अवलोकन-क्षमता रखता हो वह विज्ञान का संत और भारत का पहला
नागरिक (राष्ट्रपति) बनने का शतप्रतिशत अधिकारी था और नियति ने उसे
सँवारते हुए सुशोभित भी किया। सरलता की प्रतिमूर्ति,मानवीयता से ओतप्रोत और
काम के प्रति समर्पित पेशेवर वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अपनी तल्लीन और
सक्रिय गतिविधियों के तह्त 'डीआरडीओ',और 'इसरो' के माध्यम से हमारी सुरक्षाओं को पुख्ता किया वहीं संसार में भारतभूमि की विख्याति में उनके नाम का सफल अध्याय जुड़ गया । ऐसा नही है कि इन्हें अफवाहें ,विवादो और असफलताओं ने नहीं घेरा किन्तु इन सबसे अनभिज्ञ बने रह कर उन्होंने और नयी-नयी योजनाबद्ध तरीके से अपने लक्ष्य को साधा और सफलता का मिसाल कायम किया । जिसे प्रोत्साहित करने के लिये समय-समय पर पद्म-भूषण, पद्म-विभूषण और भारतरत्न से अलंकृत किया गया।उनके कार्य और विचार हमे सदा उनके उपस्थिति से अवगत कराते रहेंगे ।
संवेदनशीलता और सहिष्णुता को उन्होंने विज्ञान की तराजु पर तौलते हुए परिस्थितियों की प्रतिकूलता को अनुकूलता में परिवर्तित करते हुए अपनी योजनानुसार अग्रसर होने के साथ-साथ चमत्कार करते हुए हम सबके लिये मिसाल कायम कर गये जो सदा हमें प्रेरित करते रहेंगे ।उनकी क्रियात्मकता हमें सदैव एक नयी उर्जा का भान करा हँसते हुए आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करती है । रुकना,थमना और मायूसी जैसे परिकल्पनाओं के लिये उन्होंने कभी कोई स्थान नही दिया जिससे यही कारण है कि नियति को भी उन्हें कार्य दर कार्य मान और सम्मान से सुशोभित करना पड़ गया ।
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