सृष्टिकर्ता कहूँ या भगवान,उसने सबको यहाँ इंसान बना कर ही तो भेजा है ,
एक समान धरती पर तो हम आते हैं ,लेकिन वैविध्यता को किसने बना रखा है ?
कोई यहाँ राजा है तो कोई रंक,वहीं कोई मानव है तो कोई दानव क्यूँ है,
सृष्टिकर्ता भी खुद आज सवालों के घेरे में पड़ा हुआ अपने-आप को पाता है ||
दयनीय और बदहाली हालत देख अन्नदाता की यहाँ कोई कब किसान बनना चाहता है ,
बच्चे को कान्वेंट-शिक्षा तो यहाँ सब देते हैं लेकिन अध्यापक बनना यहाँ अब कौन चाहता है |
प्राप्तांक शत-प्रतिशत हो इसलिए सिलेबस को गहन अध्ययनशीलता से दूर रखा जाता है ,
आज शोधकर्ताओं कि हो रही है खोज है क्यूँकि सभी व्यवसायीकरण में हो रहें लीन हैं ||
भगवान कौन हैं किसी को नहीं मालूम फिर भी नास्तिक हो आस्तिक कहीं न कहीं एक विश्वास पर जीते हैं ,
बालमन कि बस एक चाह ,एक विद्यालय एक माँ-बाप फिर भी कोई बड़ा तो कोई छोटा क्यूँ है ?
मन के एक कोने से आ रही एक आवाज है, चल उठ तुम इंसानों ने सुंदरता का कर दिया ये अजब हाल है ,
सोच-विचार हो या मौन-विचार, विचारों और कर्मों (कार्य)के ही कारण हुआ सृष्टि का ये अजूबा हाल है ||
एक समान धरती पर तो हम आते हैं ,लेकिन वैविध्यता को किसने बना रखा है ?
कोई यहाँ राजा है तो कोई रंक,वहीं कोई मानव है तो कोई दानव क्यूँ है,
सृष्टिकर्ता भी खुद आज सवालों के घेरे में पड़ा हुआ अपने-आप को पाता है ||
दयनीय और बदहाली हालत देख अन्नदाता की यहाँ कोई कब किसान बनना चाहता है ,
बच्चे को कान्वेंट-शिक्षा तो यहाँ सब देते हैं लेकिन अध्यापक बनना यहाँ अब कौन चाहता है |
प्राप्तांक शत-प्रतिशत हो इसलिए सिलेबस को गहन अध्ययनशीलता से दूर रखा जाता है ,
आज शोधकर्ताओं कि हो रही है खोज है क्यूँकि सभी व्यवसायीकरण में हो रहें लीन हैं ||
भगवान कौन हैं किसी को नहीं मालूम फिर भी नास्तिक हो आस्तिक कहीं न कहीं एक विश्वास पर जीते हैं ,
बालमन कि बस एक चाह ,एक विद्यालय एक माँ-बाप फिर भी कोई बड़ा तो कोई छोटा क्यूँ है ?
मन के एक कोने से आ रही एक आवाज है, चल उठ तुम इंसानों ने सुंदरता का कर दिया ये अजब हाल है ,
सोच-विचार हो या मौन-विचार, विचारों और कर्मों (कार्य)के ही कारण हुआ सृष्टि का ये अजूबा हाल है ||
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