सोमवार, 27 अप्रैल 2015

इंग्लिश-आवरण

हिंदी को इंग्लिश जामा पहना कर उसके शब्दों को विस्तार दें जिसमें भाव तो तुम्हारे हिंदी हैं |
तब न किसी को वैर होगा या न तो कोई शौतेला होगा क्यूँकि ये इंग्लिश ही खेवनहार है ||

शब्दों का विस्तार ,भावों कि पहचान तुम्हारी अपनी है ये आवरण क्या एकता को दर्शा पायेंगे !
सभी बोलियाँ सभी भाषाएँ मिलकर आज विचरण करें जिसमें न कोई भेदभाव रह- जायेंगे !!

हिंदी मुझसे कहती है मुझे राजभाषा कहो या विश्व-भाषा मुझमें कोई अभिमान नहीं लेकिन समानता की आस है |
कोई तर्क-वितर्क अब मुझे नहीं है भाता मेरे सभी हैं भाई-बन्धु,सर्वोच्चता कि चाह नहीं समानता में मेरा विश्वास है ||

शब्दों को पहचान मिले या फिर तुम्हारे भावों को एक नई राह मिले ,मेरी इसमें कोई दखलंदाजी नहीं |
हे मानव ! मानवीयता को पहचान सको तो पहचान लो ,आवरण चाहें कोई भी हो इसकी मुझे परवाह नहीं ||

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