सोमवार, 27 अप्रैल 2015

लक्ष्य,प्यार और जूनून

लक्ष्य को साधो फिर प्यार तो उससे तुमको होना ही है |
जब प्यार हो जायेगा तो वो ही तुम्हेँ चौतरफा नजर आएगा ही ||

जब प्यार है तो गम है ख़ुशी है लेकिन उसके साथ ही एक मीठा सा जूनून है |
जूनून कहता है हार कभी न तुम मानों, उसे पाने हेतु श्रम को साथ लेना जरुरी है ||

श्रम कहता है तुम्हेँ मै तुम्हारा लक्ष्य दूँगा जिसमें अनेकों उल्लास शामिल होंगे |
उल्लासित मन और ख़ुशी में न कभी हताशा आने देना वही तुम्हारा प्यार देंगे ||

एक बात याद सदा है तुमको रखना निराशा या उदासी को कभी न तुम भटकने देना |
चक्षु-श्रवाकहूँ या यूँ कह लो खुली आँख और सतर्क कान पर ध्यान सदा है तुमको रखना ||

यश और विजय कि दौड़ में अंधाधुंध न चलते रहना,लक्ष्य साधना तो ठीक है उल्लास को भी सदा तुम रखना |
लक्ष्य और उल्लास मिल प्यार को कभी न कम होने देंगे,समयावधि को साथ ले लक्ष्य-पथ पर बढ़ते रहना ||

कमजोर या आशक्त और अहंकारी कभी मत तुम बनना क्यूँकि लक्ष्य प्यार और जूनून ये तीनों तुम्हारे साथ हैं |
जब तीनों का साथ हो मन में दृढ़ विश्वास हो और समझौतावादी विचार हो तो विजय तुम्हारी ही होनी है ||


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