शुक्रवार, 27 मार्च 2015

असफलता

सफल रहे तो माला और नहीं तो गाली अजब है ये खेल तमाशा |
बच के रहना ऐसे चाहने वालों से तो जो हार पर करें केवल तमाशा ||

अरे !हमने कब चाहा है हारना लेकिन केवल जितने पर भी हक नहीं है हमारा |
आज हार का गम तो है ही लेकिन क्या करें उससे भी ज्यादा डर है तुम्हारा  ||

मत पूजो इतना तुम हमको कि मिलने का मन भी ना करे कभी तुमसे दुबारा |
क्यूँकि डर लगता है ऐसे पुजारियों से जो मन्नत पूरी ना हो तो ठुकरा दें मेरा ठिकाना ||

मुझे अपना कोई गम नहीं है लेकिन फिकर है तो केवल तुम्हारा |
अरे !हार हो जीत ,सफल हो या असफल कभी रहता नहीं हमारा ||

चलो उठो और तैयार हो जाओ सूरज भी भेज चाँद को अनवरत प्रक्रिया में बदलाव को जताता है |
चौबीस घंटे में बारह घंटे तापमान फिर अंधियारी रात में चाँद का घटते बढ़ते देखना भी हमे सुहाता है ||

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें