आज का दिन बहुतायत पर्व से भरा हुआ है | इस दिन का अहमियत भारतीय संस्कृति को अभिव्यक्त करते हुए हमारी विभिन्नताओं में भी एकसूत्रता को दर्शाता है | सर्वप्रथम आज के शुभत्यौहारों को एकत्रित करते हुए फिर उनके प्रान्तों को जोड़ा जाये तो बात को समझा जा सकेगा | नववर्ष विक्रम संवत् २०७२ , 'चैत्र नवरात्रि' करीब-करीब भारत के अधिकांश प्रान्तों में , 'युगादी' कर्नाटक और आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र में 'गुडी पडवा','नवरोज' पारसी दोस्तों के लिए वहीं बंगाल में आज 'बसंती पूजा' होता है और राजस्थान में गणगौर पूजा जाता है |(तिथि इधर-उधर हो सकती है लेकिन मास चैत्र ही होता है )|
शीर्षक अहमियत देने का तात्पर्य यही है कि हम दिनों को नाम भले ही कुछ दे दें लेकिन सबका सर एक ही होता है जो हमारी एकात्मकता को दर्शाने के साथ-साथ हमारे तौर-तरीकों के तहत उसके मुख्य अहमियत(महत्व) में छिपे एकरसता को अभिव्यक्त करता है | यही नहीं ये भाव ही हमें एकसूत्र में बंधे होने के एहसास को भी जगाता है | इसके अतिरिक्त यदि बौद्धिक नजर दौड़ाये तो हमसे कहता है ये इंसानों द्वारा बनाये हए अपने-अपने विश्वास हैं जो हमें ताकतवर और धैर्यवान बनाने के साथ-साथ जटिलताओं का परित्याग करते हुए बिना किसी कड़वाहट के भारतीयता को मुख्य अहमियत देते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं |
शीर्षक अहमियत देने का तात्पर्य यही है कि हम दिनों को नाम भले ही कुछ दे दें लेकिन सबका सर एक ही होता है जो हमारी एकात्मकता को दर्शाने के साथ-साथ हमारे तौर-तरीकों के तहत उसके मुख्य अहमियत(महत्व) में छिपे एकरसता को अभिव्यक्त करता है | यही नहीं ये भाव ही हमें एकसूत्र में बंधे होने के एहसास को भी जगाता है | इसके अतिरिक्त यदि बौद्धिक नजर दौड़ाये तो हमसे कहता है ये इंसानों द्वारा बनाये हए अपने-अपने विश्वास हैं जो हमें ताकतवर और धैर्यवान बनाने के साथ-साथ जटिलताओं का परित्याग करते हुए बिना किसी कड़वाहट के भारतीयता को मुख्य अहमियत देते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं |
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