कोई भी दल हो या संस्था तराशते रहो उन भावों को जहाँ एक गुण भरा है तुम्हें सम्हालने की |
कोई यूँ ही शांत नहीं होता दबी होती है उनके अन्दर एक भड़ास जो कहती है मै मौन नहीं ||
बोलना अच्छा है मिल जाते हैं कई सुझाव तुम्हें जब खखोलोगे उन्हें तुम लेकिन मौन कभी मत साधो तुम |
कोई यूँ ही कभी शांत नहीं होता उसके उस मौन को तलाश है एक ऐसे अमन व चैन की जहाँ कोई मौन न हो ||
किसी भी मौन को कुरेदोगे तो उसकी भड़ांस अपने लिये नहीं होती ,होती है अन्याय और अत्याचार के लिए |
वो पूछता फिरता है क्यूँ हो रहा है इक्कसवीं सदी के विश्व में भी इस तरह के खौफनाक हाहाकार ||
लेकिन मेरा मन कहता है हमे आगे बढ़ना है आतकंवादी मानसिकता को मिटना ही है चाहें जतना भी शोर मचा लें वो |
मत भूलना बड़े-बड़े चट्टानों से हमने खेला है, कर देंगे नतमस्तक तुम्हें अब विजय हमारी होनी ही है ||
बात पराजय कि जब होती है तो रूठो मत ,आरोप-प्रत्यारोप कभी थमता नहीं न ही आज थमेगा |
तो अब क्या सोचता है चलो मिल बैठ सौम्य भाव से सोचें कहाँ चुक हो गेयी है हमसे कोई यूँ ही नहीँ हारता कभी ||
सामने जो कुछ भी हो मन को मत हारने देना उसकी सकारात्मकता न होने देगी कभी हताश तुम्हें |
चलो तलाशतें हैं उन चुप्पियों को जिसको कभी वक्त ने मारा तो कभी उसी के दल के फिर भी वह बैठा नहीं ,
दल तो थमता सा नजर कभी आता है फिर भी वह चमचमाता सा खिलता हुआ नजर आता है हमें ||
कोई यूँ ही शांत नहीं होता दबी होती है उनके अन्दर एक भड़ास जो कहती है मै मौन नहीं ||
बोलना अच्छा है मिल जाते हैं कई सुझाव तुम्हें जब खखोलोगे उन्हें तुम लेकिन मौन कभी मत साधो तुम |
कोई यूँ ही कभी शांत नहीं होता उसके उस मौन को तलाश है एक ऐसे अमन व चैन की जहाँ कोई मौन न हो ||
किसी भी मौन को कुरेदोगे तो उसकी भड़ांस अपने लिये नहीं होती ,होती है अन्याय और अत्याचार के लिए |
वो पूछता फिरता है क्यूँ हो रहा है इक्कसवीं सदी के विश्व में भी इस तरह के खौफनाक हाहाकार ||
लेकिन मेरा मन कहता है हमे आगे बढ़ना है आतकंवादी मानसिकता को मिटना ही है चाहें जतना भी शोर मचा लें वो |
मत भूलना बड़े-बड़े चट्टानों से हमने खेला है, कर देंगे नतमस्तक तुम्हें अब विजय हमारी होनी ही है ||
बात पराजय कि जब होती है तो रूठो मत ,आरोप-प्रत्यारोप कभी थमता नहीं न ही आज थमेगा |
तो अब क्या सोचता है चलो मिल बैठ सौम्य भाव से सोचें कहाँ चुक हो गेयी है हमसे कोई यूँ ही नहीँ हारता कभी ||
सामने जो कुछ भी हो मन को मत हारने देना उसकी सकारात्मकता न होने देगी कभी हताश तुम्हें |
चलो तलाशतें हैं उन चुप्पियों को जिसको कभी वक्त ने मारा तो कभी उसी के दल के फिर भी वह बैठा नहीं ,
दल तो थमता सा नजर कभी आता है फिर भी वह चमचमाता सा खिलता हुआ नजर आता है हमें ||
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