गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

हारना हमने जाना ही नहीं...!!!

हारते वे हैं जो नकारात्मकता और अहंकार का शिकार हो जाते हैं |
जीतते वे हैं जो सकारात्मकता के साथ सतर्कतापूर्वक बढ़ते जाते हैं ||

रुकना और थकना मेरा काम नहीं और अंधों की दौड़ में मैं शामिल नहीं |
कुछ भी साकार रूप देना मेरा काम है अब रो-रो कर किसी और आशा में मै शामिल नहीं ||

मै नीर भरी दुःख की बदली परिचय इतना इतिहास यही उमड़ी कल थी मिट आज चली |
महादेवी जी की ये पंक्ति मुझसे कहती है नम आँखों को पोंछ कठोरता के साथ बढे चलो ||

जो सत्य है उसे ही जाँचना इस निर्मोही जग का न्याय और कानून है |
अरे! हिम्मत है तो समूल से मिटा दो जग में हो रहे अत्याचारों को ||

बस एक सोच को जिलाकर रखना मत झूकना मत रुकना जीवन-पथ पर कभी |
समझौता करना ही है तो अपने मन से कर ले और कह आओ चलें नये जोश के साथ ||
                        (क्यूँकि हारना तूने जाना ही नहीं )






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