रविवार, 30 नवंबर 2014

पुरस्कार

क्या एक पुरस्कार से योग्यताओं का आकलन हो सकता है यदि नहीं तो फिर पुरस्कार की लालसा ही क्यूँ ?
लालसा बुरी नहीं है बुरी है न मिलने पर होने वाली हताशा ,अरे हताशा भी एक पुरस्कार ही है तुम्हारे और करने की ललक या इसे यूँ कह लें कि एक ऐसी चाहत को जन्म देती है जो तुम्हें हारने नहीं देती कहती है नियति तुमसे और श्रम तथा उत्तमता को पहचानने की ओर अग्रसित होने के लिए तत्परता की उत्पत्ति करती है | बस लगन की तत्परता में कमी मत आने देना फिर देखना पुरस्कारों की लड़ी लग जाएगी | नहीं भी लगेगी तो तुम्हें रुकने नहीं देगी वो ताकत भी एक पुरस्कार ही है जो सबके द्वारा सराहा जाये | पुरस्कार तो मुहर है रेश में अपनी लगन को तेजी देने की या इसे सरल और दैनिकचर्या के तहत समझें तो एकलयता से अलग करने की चाहत , जिसमें कर्ता अपनी योग्यता को प्रखर बनाने के लिए उत्सुक हो जाता है |

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