गुरुवार, 27 नवंबर 2014

उम्मीदें

उम्मीदों और आशाओं पर ही हम जीतें हैं नाउम्मीदी हमें भाती नहीं |
आशा और उम्मीद दोनों मेरें साथी हैं नाउम्मीदी तेरा यहाँ काम नहीं ||

विश्वास और धैर्य को आजमाया है उसे भी आज मुझे आजमा लेने दो,सब ले कर आगे बढ़ना है |
दोस्ती रंग लाती है जब दोनों में तारतम्यता हो जा दूर बैठ एक कोने में निराशा तेरा यहाँ काम नहीं ||

हारना तो मैंने सिखा ही नहीं हराने वालोँ मन की जीत से बड़ी कोई जीत नहीं |
खुश रहें सदा जिन्हें हो लकीरों को मिटाने की आदत मैंने तो लकीर बड़ी बनानी सीखी है || (आगे बढ़ने वालोँ को गिरा कर आगे बढ़ने वाले)

ख़ुशी की चमक और दिव्यात्मा  के संकेत मुझसे कहते हैं तेरी मंजिल को चलकर तेरे पास आना है |(भगवान)
बस तुम्हेँ पता होना चाहिए तेरी मंजिल है कहाँ और कब करना है हाशिल तुम्हें,इसी उम्मीद पर चलना है ||

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