रविवार, 23 नवंबर 2014

आधुनिकता

नयी सोच के साथ समझ हो जिसमें क्रियात्मकता की खुशबू है |
हर गुस्से के पीछे छिपे भावों को पहचानों  जिससे तुम्हरी ताकत है |

कोई यूँ ही नहीं चिल्लाता है जरुर किसी चोट ने उसे ललकारा है |
देखो उसका गुस्सा बदल न जाये आक्रोश में इससे पहले सम्हलना है |

छोटा बच्चा जब वह रो-रो कर चिल्लाता है क्यूँ चुप हो जाता है एक दुलार से |
आज उसे दुलार दो कल वह बड़ा हो सम्हलना चाहेगा हर तकरार व फटकार से ||

आधुनिकता क्या है इसे समझना है बाकी अभी और लोग उत्तर आधुनिकता तक पहुंचे हैं |
भ्रम में मत जीना कभी श्रम को निर्थक मत जाने देना सोच-समझ व भावना के साथ ही जीवन है ||

परिवर्तन को अपनाना लेकिन परम्पराएँ हो प्रधान क्यूँकि इसका कोई मोल नहीं |
स्वाभिमान को ताक पर न रखना लेकिन अहंकार को छूना मत क्यूँकि इसका कोई अर्थ नहीं ||


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