गुरुवार, 13 नवंबर 2014

बाल-दिवस

बच्चे गुलदस्ते रूपी देश के सुगन्धित-पल्लवित पुष्प हैं |
मत लाना ये अहसास इनमें तुम लड़का या ये लड़की है || 

बच्चे मन-तनऔर मष्तिष्क से स्वच्छ और निर्मल होते हैं |
मत पनपाना ये अहसास की तुम हिन्दू,मुस्लिम,ये ईसाई है ||

बच्चे सच्चे होते हैं झूठ-फरेब से न कोई इनका लेना-देना है |
इनको स्नेहिलता और बौद्धिकता से विश्व की पहचान कराना है ||

चाचा-नेहरु के गुलाब को धीरे-धीरे काँटों में भी खिलना बताना है |
हमारे महापुरुषों क स्मरण करा विश्व-की धरा में भी मशाल जलाना है ||

नहीं बटेंगे, नहीं फूटेंगे कभी भी , मानवता की सीख इन्हें सिखानी है |
समतल राह पर तो सभी चलते हैं ,पहाड़ों को भी चीर कर आगे की राह दिखानी है ||









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