दीया तो जलाओ ही क्यूँकि यह प्रतीक है उजाले का ,जिसने प्रकाश तो फैलाया ही है |
जो कहती है जलकर इस प्रकाश को तुम्हे भी अपने अन्दर प्रज्वलित करते रहना है ||
मत भूलो दीपक जहाँ भी रहता है अँधेरा उसे हर वक्त सहमे-सहमे ही रहती है |
उस अंधियारे को भी अपने अंजाम का पता है अतः याद सदा तुम रखना इस रोशनी को ||
रोशनी ऐसी जो रौनक तो लाये इसके साथ-साथ दूर भगाये मन में छिपे अंधियारे को |
मन के बाद दूर भगाना है व्याप्त उस अंधियारे को जिससे जग और समाज अब तक रहा अनभिग्य है ||
मन व्यथित है या चिंतित है की क्या किया जाये जिससे कायाकल्प ही बदल जाये हमारे समाज की |
फिर नजर पड़ते ही एस दीपक पर मन कह उठता है एक आशावादी उम्मीद से कि अब उत्तमता को आना ही है ||
धनकुबेर और माँ लक्ष्मी की इतनी कृपा तो सब पर हो ही कि दीये का तेल सदा रहे सबके लिए कायम |
क्यूँकि इस दीये की रोशनी ही हमें बताएगी कहाँ -कहाँ काम रह गया है इस धरा पर बाकी अबतक ||
तन-मन -जन, बल-बुद्धि और यश के साथ-साथ प्रेम और भाईचारे का हो वास इस धरा पर |
न छूने पाये अब किसी जन को कोई अँधियारा | आओ हमसब मिलकर एक ऐसे ही दीप जला वचन ले लें ||
जो कहती है जलकर इस प्रकाश को तुम्हे भी अपने अन्दर प्रज्वलित करते रहना है ||
मत भूलो दीपक जहाँ भी रहता है अँधेरा उसे हर वक्त सहमे-सहमे ही रहती है |
उस अंधियारे को भी अपने अंजाम का पता है अतः याद सदा तुम रखना इस रोशनी को ||
रोशनी ऐसी जो रौनक तो लाये इसके साथ-साथ दूर भगाये मन में छिपे अंधियारे को |
मन के बाद दूर भगाना है व्याप्त उस अंधियारे को जिससे जग और समाज अब तक रहा अनभिग्य है ||
मन व्यथित है या चिंतित है की क्या किया जाये जिससे कायाकल्प ही बदल जाये हमारे समाज की |
फिर नजर पड़ते ही एस दीपक पर मन कह उठता है एक आशावादी उम्मीद से कि अब उत्तमता को आना ही है ||
धनकुबेर और माँ लक्ष्मी की इतनी कृपा तो सब पर हो ही कि दीये का तेल सदा रहे सबके लिए कायम |
क्यूँकि इस दीये की रोशनी ही हमें बताएगी कहाँ -कहाँ काम रह गया है इस धरा पर बाकी अबतक ||
तन-मन -जन, बल-बुद्धि और यश के साथ-साथ प्रेम और भाईचारे का हो वास इस धरा पर |
न छूने पाये अब किसी जन को कोई अँधियारा | आओ हमसब मिलकर एक ऐसे ही दीप जला वचन ले लें ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें