शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014

कविता और निबंध

कविता एक भाव है जो ज्यादातर दिल के गहराइयों में गोते लगाने के उपरांत एक अभिव्यक्ति के रूप में होकर निखरती है | ज्यादातर कविता के लिए आने वाले भाव कवि की अपनी एक त्वरित प्रतिक्रिया होती है | प्रस्तुत समय में व्याप्त मनोभावनाएँ कवि को एक लयगत शाब्दिक भाव को शब्दांकित करने हेतु उद्वेलित करती है ,और जबकि निबंधकार की चिंतन प्रक्रिया अपने चरमोत्कर्ष पर होती हैं जो की चतुर्दिक परिस्थितियों के फलस्वरूप दिल और मस्तिष्क से विचार-विमर्श करती हुई शब्दों के तहत लेखक के अन्तर्मन् को व्याख्यायित करते हुए एक यथार्थ के रूप में पाठक के समक्ष प्रस्तुत होती है | जिसमें कोई कहानी नहीं बल्कि एक हकीकत को बयाँ करती है वहीं कविता में कवि भावपूर्ति के लिए यथार्थवादी होते हुए भी क्षण-भर के लिए कविता के साथ हो लेता है जिसमें वः जीना चाहता है या फिर जिस विषय के ऊपर उसका दृष्टिकोण होता है उसमें पूरी तरह से समाते हुए उसके (विषय)निचोड़ को पाठक के समक्ष प्रेषित करता है |कविता हो या निबंध दोनों ही क्षेत्र में रचनाकार की अनुभूतियाँ समाहित तो होती ही हैं | एक में जहाँ हम कवि के भाव के तहत कभी दर्द तो कभी उत्साह की अनुभूति करते हैं वहीं निबंध में उसकी सोच कभी सलाहकार की भांति नजर आती है तो कभी एक दोस्त की तरह जिसे हम अनुभूत करते हुए लेखक के चिंतन को विस्तार के अंतर्गत् अपने मनन और सोच को भी यथार्थ की धरातल पर मापते हुए एक निष्कर्ष पर पहुँचना चाहते हैं , वहीं कविता कवि के अंतर्मन से निकले हुए भाव होते हैं जिसमें चिंतन और मनन के लिए कोई स्थान नहीं होता है |कभी-कभी मेरा मन कविता को स्वीकारने से हिचकता है वहीं निबंध चिरस्थायी भाव को उद्वेलित करता है क्यूँकि इसमें लेखक की सोच को समझने का मौका पाठक को मिलता है वहीं कविता कभी-कभी असमंजसपूर्णता को स्थान देती हुई प्रतीत होती है | जो भी हो कविता या गद्यगीत कवि के भाव का प्रतीक होती है वहीं निबंध उसके चिंतन का |

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