शनिवार, 27 सितंबर 2014

स्वच्छता और निर्मलता

स्वच्छता और निर्मलता सबके मन को भाता और लुभाता है !
चलो हमसब मिलकर भारत को स्वच्छ बनाते है !!
गन्दगी चाहें जहाँ भी हो उसे यहाँ से हटाना है !
क्यूँकि भारत को स्वच्छ बनाने की हमने ठानी है !!

तन से और मन से आज बस एक बात ही हमने ठानी है !
भारत के कोने-कोने में ह्म सब भारतवासी स्वच्छता को लाना है !!
इस थल को स्वच्छ बनाना और जल को निर्मलता में ढालने की हमने ठानी है !
थल और जल की शोभा हमको अपने मन की स्वच्छता के लिए उद्वेलित करेंगें !!

थल-जल और मन की त्रिगुनी मिलकर उत्तम नागरिकता को पनपायेंगे !
उत्तमता से परिपूर्ण भारतीय नागरिक अपनी कृतित्व से सारे जाग को लुभायेंगे !!
हैं न प्यारी स्वच्छता हमारी , जिससे देश की कायाकल्प की निर्मलता सभी को लुभाती है !
आओ अब मत सोचो बहुत हो चुका चलो अपने भारत को स्वच्छ और निर्मल बनाना है !!



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