बुधवार, 24 सितंबर 2014

माँ ...

माँ जाती ही कब हैं लेकिन आज से लेकर नौ दिन लगता है चारो तरफ माँ की शक्ति छायी है !
उसे जब हम शक्ति कहते हैं अपने बल को भी निर्बलता से बचाते हैं कि शक्ति तो हमारी हैं !!

उसे  महिषासुरमर्दिनी कह कर हम आज भी आसुरी बल से डरते नहीं क्यूँकि माँ मेरी शक्ति है !
डरना कभी मत तुम ,भय और शोक को भी अपने पास न भटकने देना क्यूँकि माँ तेरी शक्ति है !!

माँ ने इतने रूपों से दिखा दिया है नारी ही काली है ,नारी ही दुर्गा है, इसे तुम्हें सदा पाक ही रखना है !
माँ इन दिनों पुकार-पुकार कर कहती है , नारी तुम ही शक्ति हो इसके  यश को सूर्पनखा का रूप न धरने देना !!

नारी तुम्हेँ भी अपनी शक्ति को अपनाना है ! क्या बुरा है क्या भला है !सदा रखना इसका ध्यान तुम !
मेरी एक भुजा की ताकत हो मत बनना कायर कभी या मत सताना किसी भोले-भाले बालक को !!

वे भी देव बन सकते हैं हो सके तो देवबल का कराना आभास उन्हें ,क्यूँकि तुम भी एक माँ हो रखना इसका ध्यान सदा !
जब भी आसुरी शक्ति का हो आभास तुम्हें मुझे स्मरण में केवल है तुमको अपने लाना !
देखना मैं कैसे पास तुम्हारे आऊँगी बस रखना है स्मरणीय तुमको अपने वचनों और विश्वास को !!

मेरी भी एक प्रतिज्ञा है कभी न रोएँ मेरे बच्चे उन्हें इतना तपाना और कठोर बनाना है !
मैं तो विश्वास और धैर्यवान के साथ बसती हूँ क्यूँकि वे ही मेरी शक्ति और सेना हैं !!

जब भी मन क्लांत हो मत होना कभी उदास तुम इससे मेरे बल का क्षय होता है !
क्या माँ तुम्हारी कभी कमजोर हो ऐसी मेरी संतान नहीं बन सकती है क्यूँकि एक भुजा वो मेरी है !!!


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