शनिवार, 13 सितंबर 2014

हिंदी दिवस

धन्य मानती है हमारी हिंदी की आज उसका सत्कार हो रहा है !
सचमुच आज की  यांत्रिकता और भौतिकता के आगे भी हिंदी की जय है !!

चलो फिर इतराना बंद करो चौदह सितम्बर के बाद आने वाले तेरह सितम्बर तक चुप रहना !
इतना बहुत है की तुम्हारी अर्थी की तैयारीयों को विराम चिन्हित कर दिया गया है !!

हे हिंदी !सुनो अंग्रेजी की वर्चस्वता को तुम कभी हासिल कर पाओगी इसमें है मुझे संदेह !
जानती हो क्यों ? क्यूँकि तुम्हारा दिवस मनाकर हम यह जताते हैं की तुम मरोगी नहीं !!

ज्यादा से ज्यादा होगा तो सम्मानित कर दी जाओगी ! सम्मान की कीमत मत पूछना !
तुम्हे पता है न तुम्हे रोकने वाले अपने ही हैं इसलिए संवेदनशीलता छोड़ो और कठोर बनो !!

मै जानती हूँ तुम्हे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता न तो पड़ेगा ! लेकिन मेरी आँखों में नमी है !
बस इसलिए कि तुम्हारी भावनाओं के कद्रदान भी तुम्हारी तरह ही चाहकर भी कठोर नहीं बन पाते !!

अरे बाबा ! ये कहाँ का रोना धोना और गमगीन एहसासों को लेकर चल पड़ी ,आज तो हिंदी दिवस हैं न !
तुम तो प्रेरित करने वाली हो , निराशा और हताशापूर्ण शब्द तो तुम्हारे हो ही नहीं सकते फिर ऐसी सोच क्यूँ ?

हिंदी हमारी भाषा है हमरी अन्य बोलियों और भारतीय भाषाओँ की मुखिया है !
इतना तो सब स्वीकारते हैं न बहुत है ! चलो आगे बढ़ो इस कड़वे सच को अंगीकार करो !!

 हम थोपना तो कभी जानते ही नहीं अन्यथा आज हिंदी दिवस न मनाते ! यह दिवस शायद तुम्हारे अन्तर्मन् को छू ले और तुम्हारीं अंतरात्मा आज अपनेपन को सहर्षता से अंगीकार करते हुए  इस भावना को जगा दे कि
अपनी एकत्व के पहचान से कितने अनभिज्ञ हो ? यह हमारी विभिन्नताओं को एक करने का सेतु है !
उठ जाग और देख ! इसकी विशालता को जिसमें भाव है ,तुम्हारी भारतीय संस्कृति है और सारी भाषाओँ का समावेश है !!!


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