त्योहारों का सम्बन्ध जीवन में सबसे प्यारा और अनोखा है |
लाता है खुशियों का बौछार भरा अम्बार प्यारा-प्यारा है ||
रक्षा-बंधन आकर इस यांत्रिक-युग में भी आत्मीयता को सजाया है |
आशीष और स्नेह को जताने के लिए रेशम और सुतों को अपनाया है ||
भौतिकता और यांत्रिकता के विकास भरे माहौल में परम्पराओं को दर्शाता है |
कभी रेशम की डोर का सहारा लेता है तो कभी चना को कूटने (भाईदूज) की ||
भाई-बहन का यह रिश्ता नर और नारी का सबसे अनोखा है |
दोनों को एकदूसरे के लाज और सम्मान को आत्मीयता से पिरोता है ||
जब बहन भाई की कलाई में रोरी और अक्षत के तिलक के साथ सुते में गाँठ लगाती है |
भाई भी सब-कुछ बिसरा कर बहन द्वारा दिए रक्षा-सूत को दिल के एक कोने सजा लेता है ||
दोनों मिलकर मीठा स्वाद बना कर शत-शत वर्ष उस रक्षा के भाव को रक्षा-बंधन के दिन याद दिलाते हैं | हमारी व्यस्तताओं के बीच ये त्योहार और परम्परायें आकर हमारी पहचान को जगाते और जिलाते हैं ||
लाता है खुशियों का बौछार भरा अम्बार प्यारा-प्यारा है ||
रक्षा-बंधन आकर इस यांत्रिक-युग में भी आत्मीयता को सजाया है |
आशीष और स्नेह को जताने के लिए रेशम और सुतों को अपनाया है ||
भौतिकता और यांत्रिकता के विकास भरे माहौल में परम्पराओं को दर्शाता है |
कभी रेशम की डोर का सहारा लेता है तो कभी चना को कूटने (भाईदूज) की ||
भाई-बहन का यह रिश्ता नर और नारी का सबसे अनोखा है |
दोनों को एकदूसरे के लाज और सम्मान को आत्मीयता से पिरोता है ||
जब बहन भाई की कलाई में रोरी और अक्षत के तिलक के साथ सुते में गाँठ लगाती है |
भाई भी सब-कुछ बिसरा कर बहन द्वारा दिए रक्षा-सूत को दिल के एक कोने सजा लेता है ||
दोनों मिलकर मीठा स्वाद बना कर शत-शत वर्ष उस रक्षा के भाव को रक्षा-बंधन के दिन याद दिलाते हैं | हमारी व्यस्तताओं के बीच ये त्योहार और परम्परायें आकर हमारी पहचान को जगाते और जिलाते हैं ||
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