जब कभी तुम्हें ऐसा लगे की मन को पंख लग गए हैं और तुम्हें विचलित कर एक तूफान की संज्ञान से अवगत करा रहे हैं |
बस लाकर बैठ जाओ अपने इस शब्द रूपी बंधू को जो तुम्हें तूफानों को झेलना और विचलन को भगाना और छूमंतर करना सिखा देंगे ||
विश्वास रखो अपने शब्दों पर परेशान और हैरान होना हमारा काम नहीं बल्कि ये तो तुम्हें उजाले से मिलायेंगे और तुम्हे बह्लायेगे |
अंधकार और भय तथा आक्रोश का होना मत कभी गुलाम तुम ,ये वो पथ हैं जिस पर चलकर हो जाते हैं सब गुमनाम ||
आँखों को फाड़कर रखो और कानों को सतर्क ,यही नहीं मस्तिस्क की बौधिकता को सुनों और सुन और तौल लो ह्रदय की तराजू पर |
इन सबसे छनकर यह शब्द रूपी दोस्त के प्रतिरूप को गुनो जहाँ उजाला भी है और प्रज्ञान भी है | पर तुम्हें हैरान करने वाला ना है कोई अंधकार ||
बस लाकर बैठ जाओ अपने इस शब्द रूपी बंधू को जो तुम्हें तूफानों को झेलना और विचलन को भगाना और छूमंतर करना सिखा देंगे ||
विश्वास रखो अपने शब्दों पर परेशान और हैरान होना हमारा काम नहीं बल्कि ये तो तुम्हें उजाले से मिलायेंगे और तुम्हे बह्लायेगे |
अंधकार और भय तथा आक्रोश का होना मत कभी गुलाम तुम ,ये वो पथ हैं जिस पर चलकर हो जाते हैं सब गुमनाम ||
आँखों को फाड़कर रखो और कानों को सतर्क ,यही नहीं मस्तिस्क की बौधिकता को सुनों और सुन और तौल लो ह्रदय की तराजू पर |
इन सबसे छनकर यह शब्द रूपी दोस्त के प्रतिरूप को गुनो जहाँ उजाला भी है और प्रज्ञान भी है | पर तुम्हें हैरान करने वाला ना है कोई अंधकार ||
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