आज का रोना नहीं है यह हन्ड्रेड-परसेंट सत्य है कि प्यूरिटी का पाना नामुमकिन है |
हम रोज सब्जी-मंडी से लेकर ग्रोसरी-मार्केटिंग में तो ६०% तक का मिलावट पाते ही हैं ||
कपड़ों की तो बात ही छोड़ दिया जाये बड़े-बैनर तले रिजेक्टेड माल को ६०%ऑफ़ के तहत बेचा जाता है |
न्यूज खोलो तो रोज कुछ न कुछ दिल दहला देने वाला धमाकेदार खबर अवश्य होता ही है ||
फिर किया जाये तो क्या किया जाये जहाँ कोई बनावट न हो जिसमे कोई मिलावट न हो |
फोन उठाव तो उसमें भी फेक कॉल्स या मिस कॉल्स का ही भरमार रहता है ||
बस एक बात की खुशी है आजकल मार्क्स के % पहले की अपेक्षा हण्ड्रेड% जरुर आता है |
अच्छे मार्क्स डिग्रीधारी तो बन गए लेकिन बात सैलरी पर मात खा जाती है ||
लोगों से मिलो तो ना कोई उत्साह है ना कोई पहचान है ,बस एक फार्मेल्टी है |
आज कम वाली से लेकर सब उस्ताद हो गए हैं आपकी सच्चाई को पलटाने में ||
चलो इसी के साथ जीना है इसी के साथ बढ़ना है आँखें बंद कर और सबकुछ अनसुना कर खुश रहना है |
तुम्हे पता नहीं तो चेतो और समझो लेकिन लिखना और बकना बंद करो ये विक्सित जमाना है ||
हम रोज सब्जी-मंडी से लेकर ग्रोसरी-मार्केटिंग में तो ६०% तक का मिलावट पाते ही हैं ||
कपड़ों की तो बात ही छोड़ दिया जाये बड़े-बैनर तले रिजेक्टेड माल को ६०%ऑफ़ के तहत बेचा जाता है |
न्यूज खोलो तो रोज कुछ न कुछ दिल दहला देने वाला धमाकेदार खबर अवश्य होता ही है ||
फिर किया जाये तो क्या किया जाये जहाँ कोई बनावट न हो जिसमे कोई मिलावट न हो |
फोन उठाव तो उसमें भी फेक कॉल्स या मिस कॉल्स का ही भरमार रहता है ||
बस एक बात की खुशी है आजकल मार्क्स के % पहले की अपेक्षा हण्ड्रेड% जरुर आता है |
अच्छे मार्क्स डिग्रीधारी तो बन गए लेकिन बात सैलरी पर मात खा जाती है ||
लोगों से मिलो तो ना कोई उत्साह है ना कोई पहचान है ,बस एक फार्मेल्टी है |
आज कम वाली से लेकर सब उस्ताद हो गए हैं आपकी सच्चाई को पलटाने में ||
चलो इसी के साथ जीना है इसी के साथ बढ़ना है आँखें बंद कर और सबकुछ अनसुना कर खुश रहना है |
तुम्हे पता नहीं तो चेतो और समझो लेकिन लिखना और बकना बंद करो ये विक्सित जमाना है ||
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