रविवार, 13 जुलाई 2014

क्या लिखा जाये ?

विचार तो बहुत हैं किसे तबज्जो दिया जाये और किसे विसरा दिया जाये तकरार मेरी यहाँ है |
हँसती भी हूँ कभी कभार आक्रोशित भी होती हूँ और इन सबके बावजूद अपनी हताशा पे रो भी लेती हूँ ||

किन्तु अब मेरे आँसू या हंसी या आप कह लो आक्रोश को भी उनमें भी एक ताकत होती है |
ये सारे मेरे को आकर यह समझाते हैं और बताते हैं कि रामायण और महाभारत या सारे देवताओं की ताकत क्या है ||

आज भी बौद्धिकता तथा बुद्धिजीवियों के साथ-साथ जितने भी ताकतवर लोग भरे हों अपने समाज में |
लेकिन हैरानी होगी तुम्हेँ जब पा न सकोगी किसी इन्सान को क्यूँकि उन्हें तो घेरे रखा है उनके अहंकार ने ||

सत्य को परखा जाता है क्यू में खड़ा किया जाता है जबकि उसकी चमक कब उन्हें धुँधला कर देगी |
इससे आज का तथाकथित विकसित समाज अंजान है और रचता रहता है चक्रव्यूह जिसमें उसे ही फंसना है एक दिन ||

चेत जाओ अपने को शहंशाह समझने वालों सत्य को झुकाया नहीं जा सकता उसके लिए तपना पड़ता है |
और तपने वालों से रहना तुम सतर्क नहीं तो आज भी शिव और काली का तांडव तुम्हे घेर सकता है ||

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