रविवार, 8 जून 2014

आतंक और भय...!!!

नादान हैं वो जिसने रास्ता चुना है आतंक का या लोगों को भयभीत करने का |
उन्हें पता नहीं ये रास्ते कभी उन्हीं के लिए भयावह रूप ले लेगी बजे दूसरों को सताने के ||

अब जीतनी बार भी ऐसी घटनाओं को सुनती हूँ मुझे हंसी आती है ऐसे बेवकूफों पर |
उन्हें नहीं पता है हम कितने शक्तिशाली हैं फिर भी दुःख होता है जान गवाने वालों पर ||

क्या मिलता है उन्हें किसी इन्सान को सता कर या मार कर विशेष कर प्रायः वो निर्दोष होते हैं  |
ऐसे निर्दोष मर कार भी तुम्हें नहीं छोड़ेंगे ,सैट जन्म तक तुम्हें हिसाब देना होगा अपने ऐसे कुकर्मों का ||

देश और समाज ना जाने क्यूँ  कभी-कभी हताश और परेशान सा प्रतीत होता है मुझे |
ऐसे निर्दोषों बेगुनाहों  की बेतहाशाई आज तांडव सा करता हुआ  दिखता है  मुझे ||

आज  ललकारकर एक उद्दघोषणा करने को मेरे शब्द आकुलऔर व्याकुल करते हैं मुझे |
फिर तभी मन के अंतरतम से एक आवाज आती हुई प्रतीत और सावधान भी करती है मुझे ||

हम और हमारे देश की शासकीय व्यवस्थाओं पर भरोशा है हमें जिसने हारना नहीं जाना है |
डरना नहीं झुकाना और झुकना नहीं हिम्मत है तो चोर बनकर नहीं सामने से डराओ ||

जो भी ऐसा करते मै जानती न तो उनकी कोई जाती होती है और न ही कोई धर्म |
अरे ! वो तो मानव देह में हैवानियत के आगोश में हैं गलत है इलजाम लगाना धर्म जाती पर ||

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