गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

उल्लासित बनारस और उम्दा उम्मीद !

मन प्रफुल्लित है यह सोचकर और देखकर कि शायद फिर से बनारस गरिमामय हो जाये ,
जहाँ गंगा की स्वच्छता को प्रखरित किया जाये वहीं विद्वानों से भरे बनारस को फिर से बल मिल जाये |

आधुनिकता और यांत्रिकता के पथ पर चलते हुए भी फिर से बनारस को कोई उम्दा कृति मिल जाये ,
और शिक्षा और विद्वता की उत्तमता के साथ संगीत की तह को उभारने वाला उम्दा संगीतकार मिल जाये |

बनारस भरा रहे अपने भिन्नता और उत्तमता के साथ अनमोल बनारसी खजानों से ,
फिर से सभी तलाश रहे हैं युग-पुरुष और कर्णधारों के संयोग से उत्पन्न प्रखरित मिसाल को |

भारत की इस शाखा की तरह ही उसकी सभी शाखाओं को भी उसे सँवारना होगा ,
उसकी तन-मन और धन से समर्पित भावनाओं को हमें मिलकर  सुफल बनाना होगा !!!


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