शनिवार, 19 अप्रैल 2014

भारतीयता

हम भारतीय हैं यह नारा गूंजता रहे हमेशा एक बुलंद आवाज में ,
नहीं तो धूमिल पड़ जाएगी हमारी भारतीयता चंद प्रांतीयता की आवज से |

खैर ! इतना तो हमें विश्वास है कि हम इतने कमजोर कभी नहीं थे और ना ही  कभी बनेंगे ,
क्यूँकि हम सभी को इतना पता है छिपा है हमारा आकर्षण और मजबूती इन बिभिन्न मणियों के हार से |

खबरदार करते हुए हम उन विरोधी आवाजों को मिलजुल सब और पास हो जायेंगें ,
दबा देंगे हर उस आवाज को जो हमें बेगाना बताएगा या भारतीयता की जगह प्रांतीयता की भाषा बोलेगा |

हम सबको एकात्मकता की शपथ  दोहरानी है कि हम भारतीय हैं और यही हमारी मिशाल है ,
सारे धर्म और मजहब के साथ-साथ विभिन्न प्रांतों से सजाया है भारत को जिसने व"वसुधैव-कुटुम्बकम " को अपनाया है !!!!!



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