गुरुवार, 10 अप्रैल 2014

असाधारण व्यक्तित्व

हाँ यह असाधारण व्यक्तित्व का ही परिचायक कहा जायेगा की नरेंद्र मोदी जी ने अपनी सफलता की बुलंदियों पर अपने वैवाहिक -जीवन का खुलासा किया | उन्होंने उस समय घर-परिवार को त्याग दिया जिस समय विचारों को अपने सही लक्ष्य के प्रति सोचने हेतु स्वछ्न्दता की आवश्यकता होती है ,बशर्ते उस व्यक्तित्व के लिए जो दुनिया से अलग सोचता हो | कहने का तात्पर्य है कि उसकी गणना सामान्यों के अंतर्गत नहीं की जा सकती है | शायद नियति उससे गृहस्तिक जीवन नहीं वरन देश-सेवा चाहती है , तभी तो उन्होंने उस युवा-समय में उस कदम को उठाने के लिए विवश हुए ,और सही मायने में  जिसे महात्मा-बुद्ध और विवेकानंदजी की गतिविधियों ने अपनी तरफ आकर्षित किया हो , उसके अंदर भी सम्पूर्ण नहीं भी तो आंशिक ही सही इन महापुरुषों की सात्विकता तो होगी ही | एक बात यह भी सत्य है कि गरीब -परिवार का एक नवयुवक यदि गृहस्थ-जीवन को अंगीकार कर ले तो उसे अपना शत-प्रतिशत देने के लिए अपनी सद-इच्छाओं को (देश-सेवा की प्रबल भावना) रोटी-रोजगार की दौड़-धुप में त्याज्य करना ही पड़ेगा |

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