गुरुवार, 6 मार्च 2014

नारी

नारी अबला नहीं , कमजोर नहीं , किन्तु संवेदनशील होती है ,
अतः ठेस न कभी पहुँचाना उसे ,इसका है रखना ध्यान तुम्हे |

नारी को जिसने देवी कहा उसने भी उससे सहनशीलता  की उम्मीद रखी है ,
जिसने नारी को श्रद्धा कहा है उसने भी उससे कोमलता और नमनीयता की उम्मीद रखी है |

मै कहती हूँ नारी भी तुम जैसी ही है मत रखो कोई दैवीय उम्मीद उससे ,
उसे भी है  उत्तमता की पहचान और सही स्थान बनाना आता है | (तथा कथित पुरुष समाज में)

नारी की बस एक चाह है ! देना उसे तुम सदा मान और सम्मान ,
अपने सपनों में भी उसके प्रति मत कुत्सित  भावों को पनपने देना |

क्योंकि नारी अबला नहीं , कमजोर नहीं , किन्तु संवेदनशील होती है !!!!!





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