बुधवार, 12 मार्च 2014

होली

होली नाम है उमंगों का , उत्साहों का और रंग-बिरंगे फौहारों का ,
बच्चा हो या युवा या हो फिर वरिष्ठ (वृद्ध) सभी रंगमय हो जाते हैं |
सुबह-सुबह बच्चों की टोली रंग जाते हैं सतरंगे रंगों की लय में ,
वहीँ घर में भीनी-भीनी खुशबूदार भरे पकवान से थाल सजाये जाते हैं |

दोपहर जहाँ बीतता है गिले रंगों के दाग मिटाने और छुड़ाने में ,
शाम वहीँ सज जाती है गुलालों और ठंढई के मिठासों  से |
नए कपड़ों से सजे हुए बाल-गोपाल के साथ घर की बहूँए और बेटी,
जुट जाते हैं गुझिया और मठरी से भरपूर थाल  को सजाने में |

बड़े शौक से बच्चों ने सर्वप्रथम घर के और आये हुए वरिष्ठों के पाँवों पर गुलाल रखें हैं,
वहीं दोस्तों के साथ मिठास बाँटते हुए और शोभित  छेड़खानी के साथ गुलाल खेलतें हैं |
यह गुलाल भरे मिठास मम्मी और सखियों के साथ हम-सब आठ दिन तक खेलते हैं,
कहीं कोई घर छुट न जाये इसकी परवाह उत्सुकता के साथ हम सभी करते हैं |
प्रेम-सद्दभाव ,उत्साह और उमंग के साथ-साथ सभी गिले और शिकवे मिटाने का नाम ही होली है !!!








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