आज बसंत-पंचमी
और माँ सरस्वती-अर्चना,
बालगोपाल
(बच्चों)के लिए आज पढने से छुटकारा का उत्साह !
कितने न्यारे और
निराले हैं न ये तीज-त्योहार अपने ,
याद दिला ही
देते हैं अपनी विशालता की |
कितनी आस्थाओं
और विश्वासों पर टिके हैं हम सब ,
माँ-सरस्वती
फर्स्ट-महिने में (जनवरी) अपनी वासंतिक-मुद्रा में!
हम-सबसे कह रही
हों बुद्धि और सौम्यता के साथ रहना पुरे साल ,
वहीं फिर से
मार्च में होली के रूप में सद्भावना और प्रेम का सन्देश |
चातुर्मास्य में
लगे रहो तप-पूजा और पथ में ,
ये माह
(चातुर्मास्य)सच है न ! हमारी एकाग्रता को सम्हालते हैं !
दशहरा और दिवाली
वहीं हमें याद दिलाने आ जाते हैं,
सद्कर्म और
सद्मार्ग (सही राह)चुनो क्योंकि सत्य उसी की होनी है |
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हमारे त्योहार |

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