सोमवार, 17 फ़रवरी 2014

जीवन

हमने चाँद पर जीवन को तलाशा है ,मंगल पर खोज जारी है |
लेकिन ऐसा नहीं लगता कभी-कभी कि पृथ्वी पर ही जीवन लोग खोते जा रहे हैं ||

कभी प्राकृतिक मार जीवन को सताती है तो कभी आतंकित करने वाली हादशाएं |
क्या अमीर और क्या गरीब जिसको देखो ना जाने क्यूँ परेशान सा है अपने जीवनचर्या से ||

हमने सफलताओं का चोंगा तो पहन लिया है ,देश भी प्रगति की दौड़ की तरफ ही अग्रसित है |
फिर भी वह क्या है जिसने एक खौफनाक परिस्थितियों को बनाने में साथ दे रहा है ||

शायद कहीं हम प्रगति के इस दौड़ में भूल तो नहीं रहे हम अपनी अनमोल संस्कृति को ?
हमारी संस्कृति ने पथ्थरों और निर्जीव  को भी सराहा है ,पूजा है और पूजने की शिक्षा दी है ,

शायद इसकी अवमानना ने ही  कहीं हमें अशांत और क्लांत नहीं कर रखा है ?
जिसने अनेक भाषाओं की मृदुता और तीज-त्योंहारों से हमको बहलाया है ,
नहीं भुलाना है हमको उसे  यही शपथ दोहरानी है की हम सब मानव हैं और यही हमारी पहचान है ||



जीवन की तलाश 

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