बहुत हो चुका है चीखना और चिलाना अब हमें कुछ करना है ,
शांत हो मौन हो सोच समझ कर ही हमसबको अबकुछ करना है |
सबकुछ तो था हमारे पास फिर क्यूँ बने हम गुलाम तब ,
वही दोषारोपण वही शक और संदेह अब हमें नहीं करना है |
जिसने गद्दी खोयी है उसके ही वफादार यहाँ भुत पुराने हैं ,
मत सोच न व्यर्थ कर अपने ऊर्जावान भरे दिमागों को |
कब सुधरें हैं और कब तक होगा सुधार इनमें ये सोच नहीं हमारी है ,
अब हम कुछ ऐसा ना करने देंगे जिससे माँ तेरी शान को आंच आएगी |
पहचान को अब न हम फिर से कभी गुलामी की जंजीरों में जकड़ने देंगे ,
देकर एक मौन इशारा ना चुप कभी तुम बैठना,क्यूंकि माथे की शिकन छिप ना हमसे पायेगी |
हम ठान चुके हैं चुपचाप से यूँ ही कदम से कदम मिलाकरसब यूँ ही आगे बढ़ते जायेंगे ,
माँ की शान के आगे दल की वरीयताएँ से परहेज कर अंतर्मन की सुन सद्थीसासे हाँथ मिलायेंगे |
भारत सोनेकी चिड़िया है वो इतिहास हमसे जब कहता है ,
तड़प कर मन चिल्लाता है वो पर मैं कहाँ से लेकर आँऊ माँ जिससे तेरी शान को तेजी मिल जाएगी |
उफ्फ, सोचते रहने से कब कुछ किसने पाया है ,
आओ सबमिल बैठकर मतभेद सारे भूलकर लें शपथ आज,अब हमें क्या करना है |
शांत हो मौन हो सोच समझ कर ही हमसबको अबकुछ करना है |
सबकुछ तो था हमारे पास फिर क्यूँ बने हम गुलाम तब ,
वही दोषारोपण वही शक और संदेह अब हमें नहीं करना है |
जिसने गद्दी खोयी है उसके ही वफादार यहाँ भुत पुराने हैं ,
मत सोच न व्यर्थ कर अपने ऊर्जावान भरे दिमागों को |
कब सुधरें हैं और कब तक होगा सुधार इनमें ये सोच नहीं हमारी है ,
अब हम कुछ ऐसा ना करने देंगे जिससे माँ तेरी शान को आंच आएगी |
पहचान को अब न हम फिर से कभी गुलामी की जंजीरों में जकड़ने देंगे ,
देकर एक मौन इशारा ना चुप कभी तुम बैठना,क्यूंकि माथे की शिकन छिप ना हमसे पायेगी |
हम ठान चुके हैं चुपचाप से यूँ ही कदम से कदम मिलाकरसब यूँ ही आगे बढ़ते जायेंगे ,
माँ की शान के आगे दल की वरीयताएँ से परहेज कर अंतर्मन की सुन सद्थीसासे हाँथ मिलायेंगे |
भारत सोनेकी चिड़िया है वो इतिहास हमसे जब कहता है ,
तड़प कर मन चिल्लाता है वो पर मैं कहाँ से लेकर आँऊ माँ जिससे तेरी शान को तेजी मिल जाएगी |
उफ्फ, सोचते रहने से कब कुछ किसने पाया है ,
आओ सबमिल बैठकर मतभेद सारे भूलकर लें शपथ आज,अब हमें क्या करना है |
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