आज ही के दिन एक राजनीतिक इतिहास का शुभारम्भ हुआ था | बहुत शोर-सराबे के तहत भारतीय-जनता ने परिवर्तन को एक बड़े जीत के साथ लोकतंत्रीय ढांचे को मजबूती प्रदान की थी |आंकडें तो सबने दिखाए ,कुछ ने खामियों को भी तज्जबो दिया है | लेकिन मेरी समीक्षा यही कह रही है कि जनतांत्रिक ढांचे को मजबूती ही मिली है | आज कार्य करने के तरीकों में भी बदलाव दिखता है | जो भी योजनायें हैं उनके दूरगामी परिणाम सुखद और फलदायी होंगे | एक बात तो तय है कि काम कैसे किया जाना चाहिए और उसके प्रतिस्थापन में किस-प्रकार कि दक्षत्ताओं से परिपूर्ण दल होनी चाहिए,प्रशासकीय ढांचे कि मुख्य प्रधानताएं यही हैं जिसके परिणामस्वरूप प्रतिपक्ष भी सक्रीय हो जाता है | आज वैश्विक स्तर पर हमारी पहचान सुदृढ़ होने के साथ-साथ प्रखरता के स्तर कि होती दिखती है | सकारात्मकता का जामा पहने प्रशासक और प्रशासकीय व्यवस्थाओं में सुदृढ़ता आये इसी मंगल-कामनाओं के साथ लेखनी को विराम देती हूँ |
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