बात सोशल मीडिया की हो या प्रिंट मीडिया या फिर अपना इलेक्ट्रानिक्स मीडिया सभी का रोना यही है कि जब कोई हमारी मदद से लाभान्वित हो जाता है तो कोई भी नहीं आता धन्यवाद देने के लिए लेकिन दोषारोपण करना हो तो सभी एक बार जरुर करते हैं |स्कूलों और कालेजों में भी यही शिकायत है आजकल सोशल-मिडिया कि धूम ने बच्चों को उदंड बना दिया है | बच्चों को भी बातें करते सुनती हूँ सब फेक है किसपर विश्वास किया जाये उफ... |लेकिन फिर भी जब देखो छोटे-छोटे बच्चों को भी और कुछ आये या न आये सोशल-मीडिया से अवश्य अवगत हैं |
बात जब इलेक्ट्रानिक्स मिडिया कि आती है तो सभी चैनल पर प्रतिस्पर्धा कि भीड़ है | उसी भीड़ में जब लोकसभा राज्यसभा पर हो रहे प्रोग्रामों पर नजर पड़ती है तो लगता है यह चैनल रिसर्च-जर्नल में छपे आर्टीकलों की तरह हैं जिसमें गाम्भिर्यता के लिए एक जगह प्रदान कि गई है जिन्हें शायद किसी से होड़ नहीं है |
प्रिंट मीडिया सबसे प्राचीन होने के कारण सबका अपना होता है , शायद सभी इसे एक बार जरुर पढना चाहते हैं | सभी खबरों को मसाले के साथ अपने-अपने तरीकों से शब्दांकित करते हुए हम-सबको देश-दुनिया के खबरों से अवगत करने के लिए तत्पर दीखते हैं |
धन्य है हमारी मीडिया...इनसे अवगत सभी होते हैं और होते रहेंगे | हमारी तकनीकीकरण ने तो छोटे से छोटे मोबाइलों और बड़े-से बड़े इनसे जुड़े अन्य उपकरणों के तहत भी देश-दुनिया में हो रहे हलचलों से ,मनोरंजनों से हमें व्यस्तताओं के बावजूद होशियार बनाते हैं | बशर्ते हम उनके सार्थकता को तरजीह देते हुए उनकी उतमता को ही अपनाएं |
बात जब इलेक्ट्रानिक्स मिडिया कि आती है तो सभी चैनल पर प्रतिस्पर्धा कि भीड़ है | उसी भीड़ में जब लोकसभा राज्यसभा पर हो रहे प्रोग्रामों पर नजर पड़ती है तो लगता है यह चैनल रिसर्च-जर्नल में छपे आर्टीकलों की तरह हैं जिसमें गाम्भिर्यता के लिए एक जगह प्रदान कि गई है जिन्हें शायद किसी से होड़ नहीं है |
प्रिंट मीडिया सबसे प्राचीन होने के कारण सबका अपना होता है , शायद सभी इसे एक बार जरुर पढना चाहते हैं | सभी खबरों को मसाले के साथ अपने-अपने तरीकों से शब्दांकित करते हुए हम-सबको देश-दुनिया के खबरों से अवगत करने के लिए तत्पर दीखते हैं |
धन्य है हमारी मीडिया...इनसे अवगत सभी होते हैं और होते रहेंगे | हमारी तकनीकीकरण ने तो छोटे से छोटे मोबाइलों और बड़े-से बड़े इनसे जुड़े अन्य उपकरणों के तहत भी देश-दुनिया में हो रहे हलचलों से ,मनोरंजनों से हमें व्यस्तताओं के बावजूद होशियार बनाते हैं | बशर्ते हम उनके सार्थकता को तरजीह देते हुए उनकी उतमता को ही अपनाएं |
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